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प्रत्यक्ष वस्तू
पानवाल रॉकेट स्टोव (पी.आर.एस.-v5) पूर्वोक्त संकल्पना के नीतितत्वों को साकार रूप देनेवाली मूर्तिमंत वस्तू है|
पी.आर.एस.-v5 चूल्हा एक अभिनव (पेटंट-पेंडिंग) आविष्कृती है जिसकी कार्यरचना डॉ.विनिआरस्की नामक व्यक्ति द्वारा उद्भावित “रॉकेट स्टोव्ह” संकल्पना के अभियांत्रिकी मूलतत्वों से अनुकूलीत है|
“रॉकेट स्टोव्ह” संकल्पना से अनुकूलीत घरेलु रसोई के लिए निर्माण किया गया, देश का यह पहला ही चूल्हा होगा|
चूल्हे की कार्यरचना, मुख्य पैलू और विशेषताएं नीचे चित्रों द्वारा समझाई गई है :-
बिना धौंकनी, निर्धूम ज्वलन :
इस चूल्हेको प्रज्वलित करते समय और इसका उपयोग करते समय बिलकुल धौंकनी की आवश्यकता नहीं होती | 
चूल्हेकी कद की ऊंचाई के कारण यह चुल्हा स्वयं ही योग्य मात्रा में हवा अन्दर खीच लेता है | आग बढ़ने पर हवा अपने आप ज्यादा मात्रा में, और आग कम होने पर हवा कम मात्रा में खिची जाती है | इसके कारण चुल्हा हरदम निर्धूम तरीके से जल सकता है |
सहज प्रज्वलन :![]()
पी.आर.एस.-v5 चूल्हा प्रज्वलित करना बहुत ही आसान है | न धौंकनी लगाती है न घासलेट ! 
प्रारंभ में थोडा कागज अथवा पुआल, जो शीघ्रता से जले, उसे अंदर डालके उसपर एकदम पतालीसी लकडियाँ रख दीजिये.
उसके बाद, चूल्हे की नीचे, चित्र में दिखाई तरहसे, लाईटर की ज्योत रखिये | बस, हो गया ! कुछ ही क्षणोंमें चुल्हेका अग्निकुण्ड ज्वालामय होकर चूल्हा प्रखरता से दहकने लगेगा !
तब तुरंत आप थोड़ी मोटी लकडियाँ अग्निकुण्ड में रखकर चूल्हे को निरंतर जलाते हुए अपनी रसोई पकाना शुरू कर सकते हैं |

चूल्हे को पहली बार उपयोग में लाते समय चूल्हेकी पोला दीवारों में राख भरी जाती हैं | इस राख के आवरणसे स्टोव्ह के अग्निकुंडमें उष्णता बढती हैं वाढते और उसीके साथ-साथ दीवारों के बाहर का तापमान कम रखा जाता और चूल्हेको गलती से छूनेसे अचानक दाह होने का डर नहीं रहता|
अग्निकुंड के वर्धित तापमान के कारण कुंड में रखे गए एक-दो छीदा लकड़ी के टुकडें भी बुझे बिना स्थिरता से जलते रह सकते है |
पहले उबाल के बाद मंद आग पर यदि अन्न को होले-होले पकाया जाय तो अन्न ज्यादा स्वादिष्ट औरे पोषणकारी पकता है यह सर्वमान्य सत्य है | लकड़ी के एक-दो छीदा टुकड़ों पर धीरे-धीरे मंद लौ पर रसोई संभव बनाना यह इस पी.आर.एस.-v5 चूल्हेकी अद्वितीय विशेषता है!
इस विशेषता के कारण ही यह चुल्हा हीन और दुर्बल दिखनेवाले पतली टहनीयों के छोटे टुकड़ों को घरेलु रसोई के परिपूर्ण इंधन का दर्जा प्राप्त कर देता है और देश के ग़ाव-ग़ाव में महसूस होनेवाले रसोई इंधन के दुर्भिक्ष को सदा के लिए समाप्त करने का आश्वासन दे सकता है|

चुल्हेकी रचना में एक अभिनव (पेटंट-प्रलंबित) आविष्कार है एक आकार बदलनेवाला बर्तन-घेरा.
चित्र में दिखाए हुई तरह से यह पत्रेका बर्तन-घेरा रसोई पकाते समय बर्तन को घिरे हुए रहता है | बर्तन और घेरे के बीच थोडीसी जगह (लगभग १ सेंटीमीटर) छोड़ी जाती है जिसमेसे चूल्हे की लौ यहाँ-वहां फैले बिना बर्तन के बाजुओंको चूमती हुई ऊपर तक आती है | इससे बर्तन को औष्णिक ऊर्जा बहुत अधिक मात्र में प्राप्त होती है |
बर्तन-घेरा ऐसा बनाया गया है की उसका व्यास सहज व अप्रतिहत तरह से बदला जा सकता है और उसे किसीभी आकारके बर्तन को उचित निकटता से घेरा जा सकता है |
बर्तन-घेरा व्यवस्थित ढंग से उपयोग में लाने पर रसोई के लिए खर्च होनेवाले इंधन में बहुत भरी कटौती की जा सकती है |
पी.आर.एस.-v5 चुल्हेकी सर्वोच्च ऊष्मीय कार्यक्षमता अधिकतर इसी बर्तन-घेरे से प्राप्त होती है |
विश्वास नहीं होगा, पर वास्तव में बर्तन-घेरे वाला पी.आर.एस.-v5 चूल्हा आधुनिक रसोईघरमें पाए गए पी.एन.जी.गॅस चूल्हे से भी अधिक शीघ्र भोजन पका सकता है!!

पी.आर.एस.-v5 चूल्हेके अग्निकुण्ड का मुख, जिसमे से इंधन अंदर डाला जाता है, ऊपर की दिशा में मुडा हुआ होनेके कारण चूल्हे के अंदर के अग्नि की स्थिति रसोई करनेवाले बैठे हुए व्यक्ति को, बिना झुके, बड़ी आसानीसे सतत दिखती रहती है | इसके कारण यह व्यक्ती अग्नीपर व्यवस्थित नियंत्रण रख सकता है |
चूल्हेकी आग निरंतर नजर के सामने होने के कारण अग्निकुण्ड में इंधन ठीक समय और ठीक मात्रा में ही डालना आसान हो जाता है जिससे इंधन की बचत, एवं धुआँरहित रसोई यह दोन्हो प्रायोजन सिद्ध होते हैं |
रसोई रोके बिना राख-अंगारों का अवतारण :
इस चूल्हे की रचना ऐसी है कि चूल्हे की आग को बुझाये बिना और रसोई रोके बिना चूल्हे के अग्निकुण्ड में जमी हुई राख और अंगारे बड़ी आसानीसे बाहर गिराए जा सकते है|
ऐसा करने के लिए चित्रमें दर्शाए गए तरीके से ताजा जलनेवाली लकड़ी को एक हाथ से पकडके दुसरे हाथसे चुल्हेकी इंधन-आधार-जाली को बाहेर खीचके थोडा ऊपर-नीचे , अंदर-बाहर हिलाईए | अंदर जमी हुई राख और अंगारे नीचे गिरने पर हाथ में थमी जाली और लकड़ी, दोनों को छोड़ दीजिए |
राखमुक्त अग्निकुण्डमें वह लकड़ी पुन्ह: प्रखरता से जलने लगेगी|
इस प्रकारसे आप चुल्हेको चाहे जितने समय तक निरंतरतासे चला सकते हैं |

स्थिर, मजबूत, एवं जंगरोधक स्टील :
पी.आर.एस.v5 चूल्हा पूर्णत: जंगरोधक पावडर कोटेड स्टील धातु से बनता है |
चुल्हेका गठन बहुत तगड़ा है और उसके विस्तारित पाँव के कारण चूल्हा ५० किलो से भी अधिक भार के बड़े बर्तनोंको, लुढ़कने के डर के बिना बड़ी स्थिरतासे झेल सकता है |
यदि चूल्हेका अग्निकुंड दीर्घकाल के उपयोग से खराब हो जाय तो उसे नवीन कुंड से बदला जा सकता है। नवीन कुंड के पुर्जे चूल्हे की कीमत की तुलना में बहुत सस्ते मिलते है। पुराने पुर्ज़ोंको निकालकर इन नए पुर्ज़ोंको जोड़कर नया अग्निकुंड बनाना बहुत आसान है। नया अग्निकुंड लगानेसे चूल्हा लगभग नए चूल्हे सामान हो जाता है !

विघटनशील, सुवाह्य, और पिकनिक के लिए बेहतरीन :
चूल्हे के विभक्त पुर्जों को नट-बोल्ट द्वारा जोड़ना या खोलना बहुत ही आसान है |
चूल्हे के सारे विभक्त पुर्जे चूल्हेकेही अंदर के छूछेंमें समाते है | यानेकी चुल्हेको विघटित करके उसे एक चौकोनी बक्सेमें आसानी से डाला जा सकता है और बड़ी सुविधासे अपने साथ सफ़र, वन-विहार, या पिकनिक पर लेजाया जा सकता है |
